कालिंजर की राजकुमारी ,गोंडो की महारानी थी,
दुर्गाष्टमी को जन्म लेकर दुर्गावती नाम दुलाय था
युध भूमि में काली बनकर खुद यह सम्मान पाया था
उठा तलवार हाथो में देख यमराज खुद डरा था
झुण्ड में सिह देख कर तुमको वह भी डरा था
चन्देलों की बेटी का तो ,दलपत शाह ही शान था
युध वीर महारानी के तो गोंडवाना पर अभिमान था
नाह मंजूर था कीर्ति को यह रिस्ता अभिमान से
दलपत उठा लाया रानी को पुरे मान और सम्मान से
मंडावी रानी के हाथो जबलपुर खुशनाम था
क्या पता था आगे सालो में आना भयंकर तूफान था
नारायण था तीन वर्ष का गददी सुनी राज का
हाथो में लेलिए गढ़मंडला का शान और सम्मान का
बाजबहादुर मान चूका रानी के साम्राज्य को
आखो में भी चूब गया था अकबर के तो मान को
मांग सरमन आधारसिंह अकबर बात बढ़ता है
बात सम्मान देख रानी को आखो में चुभ जाता है
बात काट दी रानी ने तो अपने मान और सम्मान पर
अकबर भी भड़क गया था बात थी उसके आन पर
आसफ खां निकल पड़ा गोंडवाना के द्वार पर
हाथो में तलवार लिए रानी खड़ी थी उनके सम्मान पर
हुआ युद्ध भयानक अकबर को हार ना भाया था
आसफ़ खान पुनः रानी से लोहा लेने आया था
कमजोर थी रानी गोंडो की पर सम्मान ज्यादा प्यारा था
मुगलो के हाथो उनको मरना भी ना गुजवारा था
लिए कटार हाथो में रानी लहू लुहार हुए
पुण्य भूमि में रानी अंतर मन में वास हुई
बात काट दी रानी ने तो अपने मान और सम्मान पर
अकबर भी भड़क गया था बात थी उसके आन पर
आसफ खां निकल पड़ा गोंडवाना के द्वार पर
हाथो में तलवार लिए रानी खड़ी थी उनके सम्मान पर
हुआ युद्ध भयानक अकबर को हार ना भाया था
आसफ़ खान पुनः रानी से लोहा लेने आया था
कमजोर थी रानी गोंडो की पर सम्मान ज्यादा प्यारा था
मुगलो के हाथो उनको मरना भी ना गुजवारा था
लिए कटार हाथो में रानी लहू लुहार हुए
पुण्य भूमि में रानी अंतर मन में वास हुई
Comments
Post a Comment