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Showing posts from June, 2018

रानी दुर्गावती

कालिंजर  की राजकुमारी ,गोंडो की महारानी थी, युध कौसल धारण कर के चंडी माँ भवानी थी |  दुर्गाष्टमी को जन्म लेकर दुर्गावती नाम दुलाय था  युध भूमि में काली बनकर खुद यह सम्मान पाया था  उठा तलवार हाथो में  देख यमराज खुद डरा  था  झुण्ड में सिह देख कर तुमको वह  भी डरा  था  चन्देलों की बेटी का तो ,दलपत शाह ही शान   था  युध वीर महारानी के तो गोंडवाना पर अभिमान था   नाह मंजूर था कीर्ति को यह रिस्ता अभिमान से  दलपत  उठा लाया रानी को पुरे मान और सम्मान से  मंडावी रानी के हाथो जबलपुर खुशनाम था  क्या पता था आगे सालो में आना भयंकर तूफान था  नारायण था तीन वर्ष का गददी सुनी राज का  हाथो में लेलिए गढ़मंडला का शान और सम्मान का  बाजबहादुर  मान चूका रानी के साम्राज्य को  आखो में भी चूब गया था अकबर के  तो  मान को मांग  सरमन  आधारसिंह  अकबर  बात बढ़ता है  बात सम्मान देख रानी को आखो में चुभ जाता ...

जब किसी दिल्ली वाले का बेटा भी बॉर्डर पर जायगा

एक भी अफजल निकला इस पुरे साल भर  पीतल भर कर रख देंगे उस द्वार पर  जब किसी दिल्ली वाले का बेटा  भी बॉर्डर  पर जायगा  और वह  भी  गोली  खायगा तब कश्मीर  में स्वर्गसन प्रारंभ हो जायगा  जब किसे नेता का बेटा बॉर्डर पर जायगा उसे भी बॉर्डर पर लड़ाया जायगा हस्ते हस्ते घर वालो  को वह दो श्बद बोल चला  जायगा तब दिल्ली  वालो के भी  आखो  में  आंसू आजाएगा जब किसे नेता का बेटा बॉर्डर पर जायगा ' तब एक फरमान निकाला जायगा एक के  बदले  में  एक हजार लेकर काश्मीर को दुबारा स्वर्ग बनाया जायगा जब किसी  नेता  का  बेटा भी बॉर्डर पर जायगा किसी पतथर बाजो के  हाथो वह भी मारा जायगा दर्द  बया करते हुए वो खुद को दोसी कहलायगा तब दिल्ली वालो को भी यह समझ आएगा नह वो बेटा था  तुम्हारा नह वो बेटा था तुम्हारा  वो बेटा था  भारत माता का यह  दर्द भी उनको समझ  में  आएगा  जब किसी नेता का बेटा बॉर्डर पर जायगा  और वहाँ शहादत की उपाधि पाएगा  ...

पिता जी

 ना  तेरे चेहरे पर सिसक थी ना तेरे आखों पर आंसू ना तेरे चेहरे पर सिसक थी ना तेरे आखो में आंसू          तक़दीर बदलने को मै            तुझे सोच मैं भागु love you dad  हसरत नहीं थी  तुझे अपनी जिंदगी से  जो मिला ,बहा दिया मेरी हसरत मिटा ने को  भगा भगा जिन्दगी दौड़ी जिंदगी पिछे मै  तू भागा था  मेरे  पीछे ताकि सब कुछ होय  har koi apne jindagi ke peeche or  khud k liye kaam krta hai taki wo khud khus rahe pr hamare pitashree bas aise hai jo bina apna fayda or nuksan serf hamare bare me sochte h taki hamara bhala ho जैसी जिंदगी चाहिए तूने दिया दिलाय  मै तो नाह समझ था पिताजी तूने दिया सिखाय  bina kuch apna soche serf meko mere raste tk dikhaane wale mere manjil ko mere tk pahuchane wale mere nahh samjhdare ko samjhdare me badalne wale pitaji aapne he mujhe sab kuch sikhaya h मै था टुकड़े टुकड़े में तेरे टुकड़े क्यू नाह हो जाय  मै  भी...

झाँसी वाली रानी थी

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी...झाँसी की रानी देख हाथो  में तलवार मेरा मन भी बोला था  सुन किस्से  आपके  मेरा खून  भी खौला  था  सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी, लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी, नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी, बरछी ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी। वीर शिवाजी की गाथायें उसकी याद ज़बानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार, देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार, नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार, सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवार। महाराष्टर-कुल-देवी उसकी ...

जाती है तो जाने दो

नाह तब कमी थी नाह अब कमी है महफ़िल तब भी हसी थी और अब भी हसी है  हसीनाओ ने मंजर बस बदला है हुस्न -ऐ -प्यार का  वरना  सपने कल भी वही थे आज भी वही  है  जाती हैं तो जाने  दो  बहोत  है इस दुनिया  में  एतबार  करने  को  बहोत  है हमसे   प्यार  करने  को तू खुद  लोट कर आयगी एक  दिन  जमाना आगे होगा  हमारी परछाई  रुलाएगी एक  दिन   जाती  है  तो  जाने  दो  बहोत  है  ऐतबार  करने को  नाह तब कमी है नाह अब कमी है  जाती  है  तो  जाने  दो  मेरा भी मुकाम होगा एकदिन  तू भी याद कर रोयेंगे  जिस  लिए छोड़ गई  थे  उसके  लिए  भी  खोयेगी  जाती  है  तो  जाने  दो  बहोत  है  ऐतबार  करने को  नाह तब कमी है नाह अब कमी है  दुआ थी  मेरी उस  ऊपर  वाले...

Hindu ki eid

ए खुदा मुझे बस इस ईद इतनी भी दिला दे मैं रहूं कहीं भी जीवन में बस राम बसा दें मन्नत करता हूं मैं रोज पर हाथ फैलाने की आदत नहीं  सटे हुए हाथों का ऐतबार करके मुझे मेरा राम दिला दे ए खुदा मुझे मेरी ईदी दिला दे रोजा रखु  ना रखु  मन में विश्वास रखता हूं तू ही मेरा राम और खुदा है यह मैं आस रखता हूं राम नाम मैं जगता हूं फिर भी तुझ पर मरता हूं वेद गीता पढ़कर भी मैं तुझ पर यकीन करता हूं ए खुदा मुझे बस मेरी ईदी दिला दे मैं रहूं कहीं भी जीवन में मेरे राम बसा  दे ऐ खुदा मुझे मेरी ईदी दिला दे

वह प्यार नहीं हवस था

प्यारा हवस था तेरी आंखों में, मैं डूबा तेरी बातों में | सही गलत का अंदाजा ना था, तेरे प्यार का मुझे अंदाजा ना था || क्योंकि वह प्यार नहीं हवस था आंखों में प्यार का धोखा था , दोस्तों ने भी अनेक बार टोका था | मैं मर चुका था प्यार की साहिल में , मुझे क्या पता था इसमें भी धोखा था || क्योंकि प्यार तो वह था ही नहीं हवस था एक बात समझ में ना आया था मैं , तो प्यार में बह गए तेरे पास आया था | क्या देखा था तूने मेरे अायनो  पर, कि तुझे सिर्फ मुझ पर हवस आया था || क्योंकि वह प्यार नहीं हवस था कभी हाथ पकड़कर चलना था , मन मेरा भी यह करता था | वहां छोटा-मोटा बहाना था , तुम्हें तो सीधे मेरे रूम को ही आना था|| क्योंकि वह प्यार नहीं हवस था , क्योंकि प्यार तो बहाना था , तुम्हें सीधे मेरे रूम को ही आना था|

Netaji

आंखो आंखो में कुटिल हंसी थी  मुख में था तुम्हारे गम  तुम्हारी कुछ बातों से हिंदू और मुस्लिम में बटे हम बाते  उनकी बहोत  सुहानी थी  खून मेरा भी जलती थी  चल उठा मै  भी  तलवार  लेकर  हिन्दू और मुसलिम को फिर से बाट कर  सियासत की तो आदत है लहू पीने की  वरना अमन और चैन यहाँ भी था  फिर लोकतंत्र का व्यंग्यात्म उपयोग करने वाले नेता जी का जन्म हुआ  हालत यु हुए की मऊ हुआ २००२ भी हुआ  इंसान की तो हसरत होते ह बाते भूलने की  कुछ तुम भूले कुछ मै भुला  और बटते चलेगये हम 

Hindustan

खूब हिंदू दिखे और खूब मुसलमान, जब गया मैं मयखाने को ,तब जाकर दिखा मुझे हिंदुस्तान|| hindu or musalman ak jaruri hai bhaichare ke ley to dusra jaruri hai virta ke ley her tajheb ki apne apne vesesta hote hai or har tajheb ki kami  hame aisa hona h ki ham on visestao pr dhyan de na ki kami pr pr kya kare human nature hai acchai dikhe na dikhe burai jarur dikhte hai hamko bache khuchi kasar hamare neta ji log pure kr dete hai kuch bhi ho hamara or aapka fayda outhana serf onko acche se aata h baki ka ni pata रामदीन में राम मिले  दिवाली  में  अली  दिल सच्चा हो तब हम मिले  बाकि रहम ओ गरीब  राम भी तू है अल्लाह भी तू है  फिर मई कैसे ऐतबार करू  दुनिया तुझसे भी चलती है और दुनिया मुझसे भी चलती है  बस दिल में थोड़ा सा प्यार रखु  kuch jaruri nahi is duniya me jindagi jeene k ley bas pyar or ijjat se rahna sikh jao jindagi safal ho jayge aisa kabira bhi bol gye hai