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रानी दुर्गावती

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जब किसी दिल्ली वाले का बेटा भी बॉर्डर पर जायगा

एक भी अफजल निकला इस पुरे साल भर  पीतल भर कर रख देंगे उस द्वार पर  जब किसी दिल्ली वाले का बेटा  भी बॉर्डर  पर जायगा  और वह  भी  गोली  खायगा तब कश्मीर  में स्वर्गसन प्रारंभ हो जायगा  जब किसे नेता का बेटा बॉर्डर पर जायगा उसे भी बॉर्डर पर लड़ाया जायगा हस्ते हस्ते घर वालो  को वह दो श्बद बोल चला  जायगा तब दिल्ली  वालो के भी  आखो  में  आंसू आजाएगा जब किसे नेता का बेटा बॉर्डर पर जायगा ' तब एक फरमान निकाला जायगा एक के  बदले  में  एक हजार लेकर काश्मीर को दुबारा स्वर्ग बनाया जायगा जब किसी  नेता  का  बेटा भी बॉर्डर पर जायगा किसी पतथर बाजो के  हाथो वह भी मारा जायगा दर्द  बया करते हुए वो खुद को दोसी कहलायगा तब दिल्ली वालो को भी यह समझ आएगा नह वो बेटा था  तुम्हारा नह वो बेटा था तुम्हारा  वो बेटा था  भारत माता का यह  दर्द भी उनको समझ  में  आएगा  जब किसी नेता का बेटा बॉर्डर पर जायगा  और वहाँ शहादत की उपाधि पाएगा  ...

पिता जी

 ना  तेरे चेहरे पर सिसक थी ना तेरे आखों पर आंसू ना तेरे चेहरे पर सिसक थी ना तेरे आखो में आंसू          तक़दीर बदलने को मै            तुझे सोच मैं भागु love you dad  हसरत नहीं थी  तुझे अपनी जिंदगी से  जो मिला ,बहा दिया मेरी हसरत मिटा ने को  भगा भगा जिन्दगी दौड़ी जिंदगी पिछे मै  तू भागा था  मेरे  पीछे ताकि सब कुछ होय  har koi apne jindagi ke peeche or  khud k liye kaam krta hai taki wo khud khus rahe pr hamare pitashree bas aise hai jo bina apna fayda or nuksan serf hamare bare me sochte h taki hamara bhala ho जैसी जिंदगी चाहिए तूने दिया दिलाय  मै तो नाह समझ था पिताजी तूने दिया सिखाय  bina kuch apna soche serf meko mere raste tk dikhaane wale mere manjil ko mere tk pahuchane wale mere nahh samjhdare ko samjhdare me badalne wale pitaji aapne he mujhe sab kuch sikhaya h मै था टुकड़े टुकड़े में तेरे टुकड़े क्यू नाह हो जाय  मै  भी...

झाँसी वाली रानी थी

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी...झाँसी की रानी देख हाथो  में तलवार मेरा मन भी बोला था  सुन किस्से  आपके  मेरा खून  भी खौला  था  सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी, लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी, नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी, बरछी ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी। वीर शिवाजी की गाथायें उसकी याद ज़बानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार, देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार, नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार, सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवार। महाराष्टर-कुल-देवी उसकी ...

जाती है तो जाने दो

नाह तब कमी थी नाह अब कमी है महफ़िल तब भी हसी थी और अब भी हसी है  हसीनाओ ने मंजर बस बदला है हुस्न -ऐ -प्यार का  वरना  सपने कल भी वही थे आज भी वही  है  जाती हैं तो जाने  दो  बहोत  है इस दुनिया  में  एतबार  करने  को  बहोत  है हमसे   प्यार  करने  को तू खुद  लोट कर आयगी एक  दिन  जमाना आगे होगा  हमारी परछाई  रुलाएगी एक  दिन   जाती  है  तो  जाने  दो  बहोत  है  ऐतबार  करने को  नाह तब कमी है नाह अब कमी है  जाती  है  तो  जाने  दो  मेरा भी मुकाम होगा एकदिन  तू भी याद कर रोयेंगे  जिस  लिए छोड़ गई  थे  उसके  लिए  भी  खोयेगी  जाती  है  तो  जाने  दो  बहोत  है  ऐतबार  करने को  नाह तब कमी है नाह अब कमी है  दुआ थी  मेरी उस  ऊपर  वाले...

Hindu ki eid

ए खुदा मुझे बस इस ईद इतनी भी दिला दे मैं रहूं कहीं भी जीवन में बस राम बसा दें मन्नत करता हूं मैं रोज पर हाथ फैलाने की आदत नहीं  सटे हुए हाथों का ऐतबार करके मुझे मेरा राम दिला दे ए खुदा मुझे मेरी ईदी दिला दे रोजा रखु  ना रखु  मन में विश्वास रखता हूं तू ही मेरा राम और खुदा है यह मैं आस रखता हूं राम नाम मैं जगता हूं फिर भी तुझ पर मरता हूं वेद गीता पढ़कर भी मैं तुझ पर यकीन करता हूं ए खुदा मुझे बस मेरी ईदी दिला दे मैं रहूं कहीं भी जीवन में मेरे राम बसा  दे ऐ खुदा मुझे मेरी ईदी दिला दे

वह प्यार नहीं हवस था

प्यारा हवस था तेरी आंखों में, मैं डूबा तेरी बातों में | सही गलत का अंदाजा ना था, तेरे प्यार का मुझे अंदाजा ना था || क्योंकि वह प्यार नहीं हवस था आंखों में प्यार का धोखा था , दोस्तों ने भी अनेक बार टोका था | मैं मर चुका था प्यार की साहिल में , मुझे क्या पता था इसमें भी धोखा था || क्योंकि प्यार तो वह था ही नहीं हवस था एक बात समझ में ना आया था मैं , तो प्यार में बह गए तेरे पास आया था | क्या देखा था तूने मेरे अायनो  पर, कि तुझे सिर्फ मुझ पर हवस आया था || क्योंकि वह प्यार नहीं हवस था कभी हाथ पकड़कर चलना था , मन मेरा भी यह करता था | वहां छोटा-मोटा बहाना था , तुम्हें तो सीधे मेरे रूम को ही आना था|| क्योंकि वह प्यार नहीं हवस था , क्योंकि प्यार तो बहाना था , तुम्हें सीधे मेरे रूम को ही आना था|